Quick Summary

  • भारतीय वायुसेना के Group Captain Shubhanshu Shukla ISS से लौटे 18 दिन बाद
  • स्प्लैशडाउन हुआ California तट पर — कैप्सूल प्रवेश 27,000 km/h
  • साथ लौटे तीन अंतरराष्ट्रीय crewmates
  • PM Modi और Space Minister ने दी बधाई — देश में गर्व की लहर

कैप्सूल वापसी की प्रक्रिया

ड्रैगन कैप्सूल ने 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे (IST) प्रशांत महासागर के पास स्प्लैशडाउन किया। NASA/SpaceX के मुताबिक, कैप्सूल 27,000 km/h की रफ्तार से वायुमंडल में प्रवेश करते समय इसकी सतह का तापमान लगभग 1,600 °C तक पहुंच गया था YouTube

इस दौरान वातासंरक्षण का पूरक था; पैराशूट्स खुलने और लाइफ रिट्रीवल शिप ‘Shannon’ द्वारा जल्द ही recovery की व्यवस्था की गई ।

“Shubhanshu Shukla stepping out of Dragon capsule after splashdown”

शुक्ला और उनका मिशन

Group Captain Shubhanshu Shukla, जिन्हें affectionate नाम ‘Shux’ भी मिला, ISS पर 310 चक्कर लगाए, जहां उन्होंने 60 से अधिक experiments में योगदान दिया जिसमें 7 विशेष ISRO द्वारा डिजाइन किए गए थे Wikipedia

उन्हें Dragon कैप्सूल से बाहर निकलते और गुरुत्वाकर्षण का अनुभव करते हुए देखा गया, जब वह सुरक्षित बाहर आए और SpaceX की मेडिकल टीम ने उनका तुरंत परीक्षण किया l

प्रमुख उपलब्धियां और भावनात्मक पल

  • शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा (1984) के बाद ISS पहुंचे दूसरे भारतीय बने l
  • उन्होंने ISS से हवा-जहाज की ओर देखें और तब कहा: “आज भारत अंतरिक्ष से आत्मविश्वासी, निर्भीक दिखता है…” ।
  • PM Modi ने ट्वीट किया: “I join the nation in welcoming Group Captain Shubhanshu Shukla… inspired a billion dreams.”
  • Space Minister Jitendra Singh ने कहा कि देश पूरी उम्मीद लिए उनके सुरक्षित लौटने की राह देख रहा था The Times of India

तकनीकी और भावनात्मक प्रतिबिम्ब

पहलूविवरण
रिबाउंड और मेडिकल जांच7 दिन के isolation और चिकित्सा रिकवरी के बाद ही उनका Gaganyaan मिशन में योगदान बचा रहेगा
वैज्ञानिक पड़े कदमmicrogravity में microalgae, plant growth tests और muscle loss research पर डाला गया ध्यान — यह Gaganyaan की संरचना में मददगार ।
मिशन लम्बा किया गयामूल रूप से 14 दिन के लिए था; मिशन को बढ़ाकर 18 दिन किया गया — अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मज़बूत मिसाल ।

निष्कर्ष

शुभांशु शुक्ला का Ax-4 मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि भावनात्मक रूप से देश को प्रेरित करने वाला भी रहा। उनके ISS पर अनुभव, वैज्ञानिक प्रयोग, सुरक्षित वापसी और राष्ट्रीय गर्व ने इस मिशन को भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सुनहरा पन्ना बना दिया।

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