

भारतीय संस्कृति में प्रकृति और उसके हर जीव का सम्मान किया जाता है। पेड़-पौधों से लेकर पशु-पक्षियों तक, सभी को किसी न किसी रूप में देवत्व प्रदान किया गया है। इसी कड़ी में, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नाग पंचमी का पर्व एक विशेष स्थान रखता है। यह वह दिन है जब भारतवर्ष में नागों को देवता के रूप में पूजा जाता है, उन्हें दूध पिलाया जाता है और उनकी लंबी आयु तथा परिवार के कल्याण की कामना की जाती है। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच के गहरे संबंध, कृतज्ञता और सह-अस्तित्व का प्रतीक भी है।
इस वर्ष, नाग पंचमी 29 जुलाई, 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी। यह पर्व श्रावण मास के मध्य में आता है, जब वर्षा ऋतु अपने चरम पर होती है। इस विस्तृत लेख में, हम नाग पंचमी के विविध पहलुओं पर गहराई से विचार करेंगे: इसका पौराणिक आधार क्या है, भारतीय संस्कृति में सर्प को क्यों इतना सम्मान दिया गया है, इस पर्व के पीछे के वैज्ञानिक और पर्यावरणीय तर्क क्या हैं, इसकी पूजा विधि क्या है और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसे कैसे अनूठे तरीके से मनाया जाता है। हम कालसर्प दोष और सर्प संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा करेंगे।
नाग पंचमी क्या है और यह कब मनाई जाती है? (What is Nag Panchami & When is it Celebrated?)
नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावण (सावन) मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन नाग देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त नागों की प्रतिमाओं, चित्रों या मिट्टी के नागों की पूजा करते हैं, उन्हें दूध, फूल, हल्दी, कुमकुम आदि चढ़ाते हैं।
- 2025 में नाग पंचमी की तिथि:
- नाग पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025 को रात 11:24 बजे
- नाग पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025 को रात 12:46 बजे
- नाग पंचमी का दिन: 29 जुलाई 2025 (मंगलवार)
- पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 05:41 बजे से सुबह 08:23 बजे तक (अवधि: 2 घंटे 43 मिनट)
- क्षेत्रीय विविधता: जबकि अधिकांश भारत में नाग पंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी, गुजरात जैसे कुछ पश्चिमी राज्यों में इसे श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 13 अगस्त 2025 को पड़ सकती है। यह विविधता भारतीय त्योहारों की विशेषता है।
पौराणिक कथाओं में नाग पंचमी का महत्व (Mythological Significance of Nag Panchami)
नाग पंचमी के पीछे कई प्रसिद्ध पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं, जो सर्पों को देवत्व प्रदान करती हैं:
1. कृष्ण और कालिया नाग का मर्दन (कालिया दमन)

यह नाग पंचमी से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक है। यमुना नदी में कालिया नामक एक विशाल और विषैला नाग रहता था, जिसके विष के कारण नदी का जल दूषित हो गया था और गोकुलवासियों को बहुत कष्ट हो रहा था। भगवान कृष्ण ने बालक रूप में ही कालिया नाग के फन पर नृत्य करके उसे परास्त किया और उसे यमुना नदी छोड़कर समुद्र में जाने का आदेश दिया। कहा जाता है कि जिस दिन कृष्ण ने कालिया का मर्दन किया था, वह श्रावण शुक्ल पंचमी का दिन था। यह कथा बुराई पर अच्छाई की जीत और पर्यावरण को विष से मुक्त करने का प्रतीक है।
2. आस्तिक मुनि और नागों की रक्षा

एक अन्य महत्वपूर्ण कथा महाभारत काल से संबंधित है। परीक्षित राजा के पुत्र जन्मेजय ने तक्षक नाग द्वारा अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए एक विशाल ‘सर्प यज्ञ’ का आयोजन किया था, जिसमें संसार के सभी नाग अग्नि में भस्म हो रहे थे। तब ऋषि आस्तिक मुनि, जिनकी माता नागिन मनसा देवी थीं, ने इस यज्ञ को श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन रोककर नागों के वंश को विलुप्त होने से बचाया था। इस घटना के उपलक्ष्य में नाग पंचमी मनाई जाती है और नागों की रक्षा का संकल्प लिया जाता है।
3. समुद्र मंथन में वासुकी नाग की भूमिका
क्षीरसागर के समुद्र मंथन के दौरान, देवताओं और असुरों ने मंदराचल पर्वत को मथनी बनाया और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया। वासुकी नाग ने इस प्रक्रिया में भयंकर विष उगला, जिसे भगवान शिव ने पीकर ‘नीलकंठ’ कहलाए। इस घटना में वासुकी की महत्वपूर्ण भूमिका नागों के देवत्व और ब्रह्मांडीय प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी को दर्शाती है।
4. शिव और सर्प का संबंध
भगवान शिव को ‘नागभूषण’ कहा जाता है, क्योंकि वे अपने गले में वासुकी नाग को धारण करते हैं। यह दर्शाता है कि शिव स्वयं सर्पों को नियंत्रित करते हैं और उन्हें अपने आभूषण के रूप में स्वीकार करते हैं। शिव के साथ नागों का यह संबंध उन्हें भय से परे और उनके रक्षक के रूप में प्रस्तुत करता है। श्रावण मास शिव का प्रिय महीना है, और नाग पंचमी इसी माह में पड़ती है, जो शिव भक्तों के लिए इसका महत्व और बढ़ा देती है।
5. नागों का दैवीय महत्व
हिन्दू धर्म में, नागों को धन, समृद्धि और प्रजनन क्षमता का प्रतीक भी माना जाता है। वे पाताल लोक के संरक्षक हैं और अक्सर पृथ्वी के खजाने से जुड़े होते हैं। अनन्त नाग, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख, कुलिक, शेष, विषधर, धृतराष्ट्र और कालिया – इन बारह प्रमुख नागों की नाग पंचमी पर विशेष पूजा की जाती है।
नाग पंचमी का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय महत्व (Scientific & Environmental Significance)
नाग पंचमी जैसी कई भारतीय परंपराओं के पीछे गहरे वैज्ञानिक और पर्यावरणीय तर्क छिपे होते हैं:
1. पारिस्थितिकी तंत्र में सर्पों की भूमिका
- किसानों के मित्र: साँप, विशेषकर चूहे और अन्य कृंतक जैसे कीटों को खाकर कृषि फसलों की रक्षा करते हैं। ये चूहे अनाज का भारी नुकसान करते हैं। इस प्रकार, सांप किसानों के लिए महत्वपूर्ण ‘मित्र’ हैं जो कृषि-संपदा (अनाज) को बचाते हैं। नाग पंचमी का पर्व अप्रत्यक्ष रूप से इन महत्वपूर्ण जीवों के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका है।
- खाद्य श्रृंखला का संतुलन: साँप खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे शिकारियों (जैसे बाज, उल्लू) के लिए भोजन प्रदान करते हैं और छोटे कृंतकों की आबादी को नियंत्रित करते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बना रहता है। नागों की पूजा करके, हमारी संस्कृति ने अनजाने में उनके संरक्षण को बढ़ावा दिया।
2. वर्षा ऋतु और सर्प दंश से बचाव
- वर्षा में सर्प आवास: वर्षा ऋतु के दौरान, सांपों के बिल पानी से भर जाते हैं, जिससे वे सुरक्षित स्थानों की तलाश में बाहर निकलते हैं। इस समय मानव-सर्प संपर्क बढ़ने की संभावना अधिक होती है, जिससे सर्प दंश का खतरा बढ़ जाता है।
- सांपों के प्रति जागरूकता और सम्मान: नाग पंचमी का त्योहार लोगों में सांपों के प्रति जागरूकता और सम्मान की भावना पैदा करता है। यह मान्यता कि सांप पूजनीय हैं, उन्हें मारने से हतोत्साहित करती है। यह अप्रत्यक्ष रूप से सांपों के संरक्षण और सर्प दंश की घटनाओं को कम करने में मदद करता है।
- प्राचीन ज्ञान: प्राचीन भारतीय ज्ञान ने इस मौसमी खतरे को समझा और सांपों को धार्मिक महत्व देकर उनके साथ सह-अस्तित्व का संदेश दिया, बजाय उन्हें पूरी तरह से खत्म करने के।
3. औषधीय महत्व
कुछ सर्पों के विष का उपयोग महत्वपूर्ण जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण में होता है, विशेषकर एंटी-वेनम (सर्प दंश के इलाज) में। यह नागों के अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण औषधीय योगदान को भी दर्शाता है।
4. जैव विविधता संरक्षण
भारतीय संस्कृति में नाग पंचमी जैसे पर्व जैव विविधता (Biodiversity) के संरक्षण के लिए एक अद्वितीय पारंपरिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति के हर तत्व का अपना महत्व है और हमें उनके साथ सद्भाव में रहना चाहिए।
नाग पंचमी की पूजा विधि और अनुष्ठान (Nag Panchami Puja Vidhi & Rituals)
नाग पंचमी पर नाग देवताओं की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है। यहाँ एक सामान्य पूजा विधि दी गई है:

1. पूजा की तैयारी:
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी स्थापित करें।
- नाग देवता की मूर्ति, चित्र या मिट्टी के नाग की प्रतिमा रखें। कुछ लोग आटे या गोबर से भी नागों की आकृति बनाते हैं।
- पूजा सामग्री एकत्र करें: दूध (गाय का कच्चा दूध), जल, हल्दी, कुमकुम (रोली), चावल (अक्षत), फूल (चंपा, गुलाब, गेंदा), दूर्वा घास, अगरबत्ती, दीपक, चंदन, मिठाई (दूध से बनी खीर, सेवइयां, या लड्डू), और खील-बताशे।
2. पूजा विधि:
- संकल्प: हाथ में जल और चावल लेकर नाग पंचमी के व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- ध्यान: नाग देवता का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें।
- स्नान: नाग देवता की प्रतिमा को जल और दूध से स्नान कराएं।
- वस्त्र और आभूषण: उन्हें हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाएं। यदि संभव हो तो फूल या मौली अर्पित करें।
- भोग: दीपक और अगरबत्ती जलाएं। नाग देवता को दूध, मिठाई और खील-बताशे का भोग लगाएं।
- मंत्र जाप: ‘ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नागः प्रचोदयात्’ या ‘ॐ नमः शिवाय’ जैसे मंत्रों का जाप करें।
- नाग पंचमी कथा: पूजा के दौरान नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
- आरती: अंत में नाग देवता की आरती करें।
- प्रार्थना: परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और सर्प भय से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
3. विशेष मान्यताएं और सावधानियां:
- धरती न खोदें: नाग पंचमी के दिन धरती खोदने, हल चलाने या नींव खोदने जैसे कार्यों से बचना चाहिए, ताकि धरती के भीतर रहने वाले नागों को कोई कष्ट न हो।
- नुकीली वस्तुओं का उपयोग: इस दिन सिलाई-कढ़ाई, लोहे के तवे पर रोटी बनाना, या किसी भी नुकीली वस्तु (जैसे सुई, चाकू) का उपयोग वर्जित माना जाता है।
- जीवित सर्पों को दूध न पिलाएं: जबकि यह एक आम धारणा है, वैज्ञानिक रूप से जीवित सर्पों को दूध पिलाना उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्योंकि वे मांसाहारी होते हैं और दूध पचा नहीं पाते। इससे उन्हें संक्रमण या निमोनिया हो सकता है। पूजा केवल प्रतीकात्मक रूप से नाग प्रतिमाओं या चित्रों की ही करनी चाहिए। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण बिंदु है जिसे बढ़ावा देना चाहिए।
- कालसर्प दोष का निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिनकी कुंडली में ‘कालसर्प दोष’ होता है, उन्हें नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करना, शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करना, या राहु-केतु के मंत्रों का जाप करना कुछ सुझाए गए उपाय हैं।
महाराष्ट्र में नाग पंचमी का विशिष्ट स्वरूप (Unique Observance of Nag Panchami in Maharashtra)
महाराष्ट्र में नाग पंचमी का त्योहार विशेष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, और इसकी कुछ अनूठी परंपराएं हैं:

- नागुला चविथी: महाराष्ट्र में नाग पंचमी से एक दिन पहले, कुछ क्षेत्रों में ‘नागुला चविथी’ (Nagula Chavithi) का भी उपवास रखा जाता है, जो नागों की पूजा की तैयारी का दिन होता है।
- बत्तीस शिराला की परंपरा: महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित बत्तीस शिराला (Battis Shirala) गाँव नाग पंचमी के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ नाग पंचमी पर एक अनूठी परंपरा रही है जहाँ गाँव वाले वास्तविक जीवित सांपों (विशेष रूप से कोबरा) को पकड़कर घरों में लाते थे, उनकी पूजा करते थे और फिर उन्हें जंगल में छोड़ देते थे। हालांकि, वन्यजीव संरक्षण कानूनों (Wildlife Protection Act) के तहत यह प्रथा अब अवैध है और इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। फिर भी, गाँव के लोग अब नागों की प्रतिमाओं या चित्रों के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षित और कानूनी तरीकों से त्योहार मनाते हैं।
- महत्वपूर्ण नोट: TheSwadeshScoop.com जैसे पोर्टल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जीवित सांपों की पूजा अब अवैध और हानिकारक है, और सुरक्षित व नैतिक तरीके से त्योहार मनाना ही उचित है।
- घरों में उत्सव: महाराष्ट्र के घरों में महिलाएं नाग पंचमी पर विशेष रूप से नाग देवताओं के चित्रों या मिट्टी के नागों की पूजा करती हैं।
- विशेष पकवान: इस दिन महाराष्ट्र में पूरनपोली, खीर, मीठी सेवइयां और अन्य पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं। कई घरों में चूल्हे पर तवा रखकर रोटी नहीं बनाई जाती, बल्कि पूरनपोली या अन्य बिना तवे पर बनने वाले व्यंजन बनाए जाते हैं, ताकि धरती या जीव को कोई कष्ट न हो।
- कुश्ती का आयोजन: कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में, नाग पंचमी के अवसर पर पारंपरिक कुश्ती (दंगल) प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, जो शारीरिक शक्ति और सामुदायिक भावना का प्रतीक है।
- बहन-भाई का रिश्ता: इस दिन को कुछ क्षेत्रों में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का भी दिन माना जाता है, जहाँ बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं, ठीक जैसे रक्षाबंधन पर।
सर्प संरक्षण और भारतीय संस्कृति: एक आधुनिक दृष्टिकोण (Snake Conservation & Indian Culture: A Modern Perspective)
नाग पंचमी का त्योहार हमें सांपों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का पाठ सिखाता है, लेकिन आधुनिक युग में हमें सर्प संरक्षण के प्रति अधिक जागरूक और जिम्मेदार होने की आवश्यकता है।

- पारंपरिक सम्मान, आधुनिक विज्ञान: सदियों से भारतीय संस्कृति ने सांपों को पवित्र माना है, जिससे उनका संरक्षण होता रहा है। लेकिन, अब हमें इस धार्मिक भावना को वैज्ञानिक समझ के साथ जोड़ना होगा।
- जीवित सर्पों से दूर रहें: जीवित जंगली सांपों को पकड़ना, उन्हें दूध पिलाना या उनसे छेड़छाड़ करना उनके और मनुष्य दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। सांपों को दूध पिलाने से उन्हें पाचन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत सांपों को पकड़ना, उनका व्यापार करना या उन्हें नुकसान पहुंचाना अवैध है। नाग पंचमी के दौरान भी इस कानून का सम्मान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- जागरूकता अभियान: https://www.google.com/search?q=%E0%A4%A6SwadeshScoop.com जैसे मीडिया पोर्टलों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को सांपों के पारिस्थितिक महत्व के बारे में शिक्षित करें और उन्हें सुरक्षित व नैतिक तरीके से नाग पंचमी मनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
- सर्पदंश प्रबंधन: ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश एक गंभीर समस्या है। सर्पों के प्रति सम्मान बनाए रखते हुए, सर्पदंश से बचाव और तत्काल उपचार के बारे में जागरूकता फैलाना भी हमारी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष: नाग पंचमी – श्रद्धा, संतुलन और सह-अस्तित्व का पर्व
नाग पंचमी का त्योहार भारतीय संस्कृति में सर्पों के प्रति गहरी श्रद्धा, प्रकृति के साथ संतुलन और सह-अस्तित्व के दर्शन का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि जीवन के हर रूप का सम्मान करना और पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करना कितना महत्वपूर्ण है।
पौराणिक कथाएं हमें नागों के दैवीय स्वरूप और उनके बलिदान की याद दिलाती हैं, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमें पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका से अवगत कराता है। इस नाग पंचमी पर, आइए हम सभी नाग देवताओं की पूजा पूरी निष्ठा और सम्मान के साथ करें, लेकिन साथ ही जीवित सर्पों के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझें।
यह पर्व हमें प्रकृति के सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
जय नाग देवता!
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